Chamundi (hindi edition)
Priyanshi Jain
बीच बीच में उस औरत की हँसी सुनाई दे रही थी. दबी हुई हँसी. मानो लाख चाह कर भी अपना हँसी नहीं रोक पा रही है वो औरत.
उस औरत के हाथ के स्पर्श से ही अजोय का पुरुषांग धीरे धीरे फूलने लगा और कुछ ही क्षणों पश्चात् अपने पूरे रौद्र रूप में आ गया. उस औरत का हाथ उसके पूरे अंग पर फिसलने लगा और पतली उँगलियाँ मानो उस अंग की मोटाई और लम्बाई माप रही हो. और मापने का भी क्या अंदाज़ है.... चरम उत्तेजना में पहुँचा दे रही है.
तभी फिर बिजली चमकी और इस बार जो देखा अजोय ने वह देख उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ... भय से रोम रोम उसका खड़ा हो गया. कुछ देर पहले तन मन में छाई यौन उत्तेजना अब क्षण भर में गायब हो गई.
उस औरत की आँखें पूरी तरह से काली थीं और आँखों के कोनों से खून की पतली धारा बह रही थी.
उस औरत के हाथ के स्पर्श से ही अजोय का पुरुषांग धीरे धीरे फूलने लगा और कुछ ही क्षणों पश्चात् अपने पूरे रौद्र रूप में आ गया. उस औरत का हाथ उसके पूरे अंग पर फिसलने लगा और पतली उँगलियाँ मानो उस अंग की मोटाई और लम्बाई माप रही हो. और मापने का भी क्या अंदाज़ है.... चरम उत्तेजना में पहुँचा दे रही है.
तभी फिर बिजली चमकी और इस बार जो देखा अजोय ने वह देख उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ... भय से रोम रोम उसका खड़ा हो गया. कुछ देर पहले तन मन में छाई यौन उत्तेजना अब क्षण भर में गायब हो गई.
उस औरत की आँखें पूरी तरह से काली थीं और आँखों के कोनों से खून की पतली धारा बह रही थी.
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Independently published
Язык:
hindi
Страницы:
300
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